भारत और पाकिस्तान के संबंध हमेशा से तनावपूर्ण रहे हैं, लेकिन जब बात आती है केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की, तो उनके बयानों — Amit Shah Pakistan statements — में समय के साथ एक बड़ा परिवर्तन देखने को मिलता है। पहले जहाँ उनकी भाषा में कूटनीतिक संतुलन और संयम झलकता था, वहीं अब उनका रुख पूरी तरह आक्रामक और निर्णायक हो गया है। यह बदलाव केवल शब्दों में नहीं, बल्कि भारत की नीति और रणनीति में भी स्पष्ट रूप से दिखाई देता है।
पहले के बयान: संवाद और संयम का दौर (2019–2023)
2019 में पुलवामा आतंकी हमले के बाद अमित शाह ने कहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही ऐसे नेता हैं जो पाकिस्तान को “मुंहतोड़ जवाब” दे सकते हैं। उस दौर के Amit Shah Pakistan statements में दृढ़ता तो थी, पर संवाद की संभावना भी बनी हुई थी।
2020 से 2023 के बीच अमित शाह ने कई बार पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (POK) का ज़िक्र किया और कहा कि “वहां के हिंदू भी हमारे हैं, वहां के मुस्लिम भी हमारे हैं।” यह बयान इस बात का संकेत था कि उस समय भारत की नीति पाकिस्तान की जनता से दुश्मनी नहीं, बल्कि पाकिस्तान सरकार की नीतियों पर केंद्रित थी।
इस दौर में अमित शाह के Pakistan statements में रणनीतिक संतुलन और संवाद की झलक थी, जो अब पूरी तरह सख्ती में बदल चुकी है।
अब के बयान: सख्ती, निर्णायकता और ‘नो टॉक्स’ नीति (2024–2025)
2024 के बाद से Amit Shah Pakistan statements में एक स्थायी बदलाव देखने को मिला। अब वे साफ कहते हैं कि “बातचीत और बम एक साथ नहीं चल सकते।” उनका मतलब था — जब तक पाकिस्तान आतंकवाद को खत्म नहीं करता, तब तक किसी भी तरह की वार्ता संभव नहीं है।
2025 में उन्होंने पाकिस्तान को “आतंक का प्रायोजक देश” कहा और दावा किया कि अब पाकिस्तान की सच्चाई दुनिया के सामने उजागर हो चुकी है। उसी साल उन्होंने Indus Waters Treaty को बहाल न करने का ऐलान किया और कहा कि पाकिस्तान को मिलने वाला पानी अब राजस्थान की ओर मोड़ा जाएगा।
अमित शाह ने राज्यों को निर्देश दिया कि भारत में रह रहे पाकिस्तानी नागरिकों की पहचान की जाए और उन्हें वापस भेजा जाए। एक रैली में उनका बयान “गोली का जवाब गोले से दिया जाएगा” भारत की नई नीति का प्रतीक बना।
उनके नवीनतम Pakistan statements में यह भी शामिल है कि “मैं पाकिस्तान से नहीं, बल्कि जम्मू-कश्मीर की जनता से बात करना चाहता हूँ।” यह रुख इस बात का संकेत है कि भारत अब पाकिस्तान के साथ रिश्तों को “कूटनीति” नहीं बल्कि “सुरक्षा” के नज़रिए से देख रहा है।
निष्कर्ष: राष्ट्रवाद और सुरक्षा नीति की नई दिशा
आज के Amit Shah Pakistan statements यह स्पष्ट करते हैं कि भारत की पाकिस्तान नीति में अब कोई नरमी नहीं बची है। पहले जहाँ बातचीत और कूटनीति की गुंजाइश थी, अब वहाँ केवल सख्त जवाब और निर्णायक कदम हैं।
यह बदलाव केवल राजनीतिक नहीं बल्कि रणनीतिक भी है। आतंकवाद, सीमा पार हमले और पाकिस्तान की अस्थिरता ने भारत को “रक्षा” से “प्रतिकार” की नीति अपनाने पर मजबूर किया है।
अमित शाह के हालिया बयान केवल चुनावी बयानबाज़ी नहीं बल्कि भारत की नई विदेश नीति का प्रतिबिंब हैं — जहाँ Zero Tolerance अब केवल नारा नहीं, बल्कि नीति बन चुकी है।



