कभी-कभी राजनीति ऐसे दृश्य दिखाती है जो चमकदार तो होते हैं, लेकिन उनके पीछे छिपी सच्चाई किसी को दिखाई नहीं देती। हाल ही में हुए शपथ ग्रहण समारोह में युवाओं की भारी भीड़ ने तालियाँ बजाईं, नारे लगाए और उत्साह दिखाया। लेकिन उसी भीड़ में बहुत कम लोग थे जिन्हें यह याद था कि कुछ ही समय पहले BJP lathi charge on students जैसी घटना ने पूरे देश के छात्र समुदाय को हिला कर रख दिया था।
आइए कहानी की शुरुआत वहीं से करते हैं।
एक ठंडी सुबह थी। सड़क पर दर्जनों छात्र खड़े थे—किसी के हाथ में admit card, किसी के पास किताबें, किसी के चेहरों पर चिंता और गुस्सा। उनकी माँग बहुत साधारण थी:
“पारदर्शी परीक्षा, समय पर परिणाम, और हमारे भविष्य की सुरक्षा।”

लेकिन अचानक माहौल बदल गया।
पुलिस की गाड़ियाँ पहुँचीं, आदेश दिए गए, और देखते ही देखते लाठियाँ चलने लगीं।
चेहरे भय से भर गए, छात्र भागते हुए गिर पड़े, लड़कियाँ रोती रहीं—और सोशल मीडिया पर हर जगह एक ही चर्चा थी:
BJP lathi charge on students यह घटना सिर्फ एक दिन की नहीं थी; यह याद दिलाती थी कि जब युवा सवाल पूछते हैं, तब सत्ता कैसे जवाब देती है।
अब आगे बढ़ते हैं—शपथ ग्रहण के दिन पर।
बड़े-बड़े गेट, चमकदार मंच, उत्साह से भरी भीड़… और उसी भीड़ में खड़े वही युवा जो कभी न्याय माँगते हुए सड़क पर भागे थे।
उनके हाथों में अब तख्तियाँ नहीं थीं, बल्कि मोबाइल था, सेल्फ़ी थी, और तालियाँ थीं।
यहां सबसे बड़ा सवाल उठता है:
क्या युवा उस दर्द को भूल गए?
या फिर उन्होंने अपनी आवाज़ छोड़कर भीड़ बनना चुन लिया?
क्योंकि असली “युवा शक्ति” भीड़ बनने में नहीं, सत्ता की गलतियों को याद रखने में है।
जो सरकार छात्रों से सवाल पूछने पर लाठी चलवाती है और तालियाँ बजाने पर उन्हें VIP ट्रीटमेंट देती है—उस सरकार को पहचानना युवा का कर्तव्य है।

कहानी का सबसे कड़वा सच यह है कि कुछ छात्र आज भी उस दिन की याद नहीं भूल पाए हैं।
एक छात्र ने कहा:
“जिसने हमें सड़क पर मारा, मैं उनके लिए तालियाँ कैसे बजा सकता हूँ?”
सवाल यही है—क्या बाकी युवा भी ऐसा सोचते हैं?
या फिर ये उत्साह सिर्फ सोशल मीडिया ट्रेंड्स और भीड़ मानसिकता की वजह से है?
युवा शक्ति तब नहीं दिखती जब वे किसी नेता के लिए भीड़ इकट्ठी कर दें;
युवा शक्ति तब दिखती है जब वे अपना self-respect बचाकर सत्ता से सवाल पूछें।
और जो छात्र BJP lathi charge on students की घटना को भूलकर सिर्फ भीड़ बन जाते हैं, वे अपनी शक्ति नहीं, बल्कि अपनी पहचान खो देते हैं।



